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लेखनी प्रतियोगिता -02-Dec-2022 नियति

नियति ने क्या क्या दिन दिखलाये हैं यारो 
कभी आंसुओं में डूबे कभी मुस्कुराये हैं यारो 

जिंदगी में आते हैं न जाने कितने अंधे मोड़ 
हर मोड़ ने बहुत से सबक सिखाये हैं यारो 

जमाने ने बिछाये हैं हजारों शूल राहों में मेरी 
पलकों से चुनकर कांटे, रास्ते बनाये हैं यारो 

मुकद्दर पे किसी का जोर कहां चलता है "हरि" 
हालांकि दो दो हाथ हमने भी आजमाये हैं यारो 

दिल का सौदा कर तो लें पर रुसवाई से डरते हैं
बेवफाई के जख्म दिल ने बहुत उठाये हैं यारो 

श्री हरि 
2.12.22 


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11 Comments

Gunjan Kamal

05-Dec-2022 07:17 PM

👏👌

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Punam verma

03-Dec-2022 08:14 AM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

03-Dec-2022 09:35 AM

धन्यवाद जी

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Abhinav ji

03-Dec-2022 07:44 AM

Very nice👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

03-Dec-2022 09:35 AM

धन्यवाद जी

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